आकाश राजेंदर, गौरव आर, कृष्णा कंवल, प्रियंका चौधरी
पृष्ठभूमि: बुढ़ापा एक प्रगतिशील प्रक्रिया है जो जीवन से शुरू होकर मृत्यु पर समाप्त होती है। बुज़ुर्ग आबादी और उम्र से जुड़ी बीमारियों में भारी वृद्धि हुई है। इस नाज़ुक आयु वर्ग में अवसाद अक्सर बुढ़ापे, संबंधित सह-रुग्णताओं और उपचार अनुपालन से जुड़ा होता है।
लक्ष्य और उद्देश्य: जेरिएट्रिक डिप्रेशन स्केल (जीडीएस) और इससे संबंधित जोखिम कारकों का उपयोग करके बुजुर्गों में अवसाद की व्यापकता का अध्ययन करना।
विधि: महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, जयपुर में तीन सौ बुजुर्ग (≥ 60 वर्ष) रोगियों का अवलोकनात्मक, क्रॉस सेक्शनल अध्ययन में जेरिएट्रिक डिप्रेशन स्केल (जीडीएस) का उपयोग करके मूल्यांकन किया गया। संबंधित जोखिम कारकों के साथ सहसंबंध का मूल्यांकन किया गया। सांख्यिकीय विश्लेषण एसपीएसएस संस्करण 12.0 का उपयोग करके किया गया।
परिणाम: अवसाद की व्यापकता 29.3% थी, जिनमें से 62 (20.67%) हल्के अवसादग्रस्त थे और 26 (8.67%) गंभीर रूप से अवसादग्रस्त थे। सहवर्ती पुरानी बीमारी (पी 0.0001), अपर्याप्त नींद (पी 0.001), अनुपस्थित सामाजिक भागीदारी (पी 0.002) वाले बुजुर्ग विषयों में अवसाद काफी अधिक था और जो लोग दिन के समय काम या शौक में खुद को शामिल नहीं करते थे (पी 0.0002)।
निष्कर्ष: बुजुर्गों में डिप्रेशन आम बात है, इसका निदान नहीं किया जाता और इसे अनदेखा कर दिया जाता है। जोखिम कारकों की रोकथाम और शीघ्र निदान से रुग्णता, मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आ सकती है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।