फ्रेंकोइस बौस्सू
कपड़े सभी मानवीय गतिविधियों का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग हैं। इनका उपयोग न केवल कपड़ों के लिए किया जाता है, बल्कि बिस्तर की चादर, तौलिये, असबाब, पर्दे आदि के लिए भी किया जाता है। हाल ही में विशेष कपड़ों का उपयोग निर्माण और संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए भी किया जा रहा है। विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए विभिन्न प्रकार के कपड़ों की बढ़ती मांग के कारण, दुनिया भर में लाखों मीट्रिक टन की मात्रा में सिंथेटिक और रासायनिक रूप से व्युत्पन्न कपड़े भी उत्पादित किए जा रहे हैं। पिछले दो दशकों में, कपड़ों की मांग और बिक्री लगभग दोगुनी हो गई है। यह प्रवृत्ति जारी है और आने वाले दशक में परिधान की वैश्विक खपत में लगभग चालीस मिलियन टन की वृद्धि होने का अनुमान है, साथ ही उप-उत्पाद और अपशिष्ट उत्पादन में भी वृद्धि होगी। कपड़ा निर्माण, पैकेजिंग और उपयोग के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में सालाना लाखों टन की बर्बादी हो रही है। इसके अलावा, परिधान पहनने की आवृत्ति में कमी आई है और इस्तेमाल किए गए परिधानों और वस्त्रों को फेंकने की दर में वृद्धि हुई है और यह मुख्य रूप से तेजी से विकसित हो रहे फैशन सेंस, स्टाइल कोशंट में तेजी से बदलाव और उत्पादन की कम कीमत के कारण हो रहा है। पहले यह अनुमान लगाया गया था कि कुल कपड़ों के केवल 18% का ही पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण किया जाता है, जबकि 57% की काफी बड़ी मात्रा को लैंडफिल में फेंक दिया जाता है। एक अन्य अध्ययन ने अनुमान लगाया कि वैश्विक फाइबर उत्पादन 53 मिलियन टन है, जिसमें से केवल 12% का ही पुनर्चक्रण किया जाता है और बाकी को त्याग दिया जाता है।