प्रसाद वर्षा, पीटर्स एरियाना, फिरंगी माइकल, पीटर सबरीना, फकीरा एमी, फिलिप्स एंटोन, पिंडर अल्फोनेट और मुंगरू कमील
उद्देश्य: इस अध्ययन का उद्देश्य उत्तर-मध्य त्रिनिदाद जैसे छोटे द्वीपीय विकासशील देश में प्राथमिक देखभाल व्यवस्था में मातृ अवसाद की व्यापकता को मापना तथा इसके सामाजिक-आर्थिक, भौगोलिक और स्वास्थ्य-संबंधी जोखिम कारकों का निर्धारण करना है।
विधियाँ: उत्तर मध्य त्रिनिदाद में प्राथमिक देखभाल सुविधाओं में भाग लेने वाली महिलाओं में मातृ अवसाद के बिंदु प्रसार को निर्धारित करने के लिए एक क्रॉस सेक्शनल अवलोकन अध्ययन किया गया। जनसंख्या में प्राथमिक देखभाल सुविधाओं में भाग लेने वाली सभी गर्भवती महिलाएँ शामिल थीं। 400 महिलाओं का व्यवस्थित नमूना लिया गया। सूचित मौखिक सहमति के बाद दो भाग वाली प्रश्नावली दी गई। प्रश्नावली में जनसांख्यिकीय डेटा एकत्र किया गया और नौ आइटम PHQ प्रश्नावली दी गई।
परिणाम: अध्ययन में छह सौ दो रोगियों को शामिल किया गया, जिनमें 441 प्रसवपूर्व महिलाएँ और 161 प्रसवोत्तर महिलाएँ शामिल थीं। प्रसवोत्तर अवसाद का बिंदु प्रसार 38.5 (95% CI 31.046.5) था, और प्रसवपूर्व अवसाद 49.7% था।
निष्कर्ष: अध्ययन से यह साक्ष्य मिलता है कि विकासशील देशों में एमडी एक आम बीमारी है, इसलिए इसका पता लगाना और उपचार करना प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि अवसादग्रस्त माताओं से जन्म लेने वाले बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं अधिक होती हैं, मानसिक रोग अधिक होते हैं, बाल रोग विशेषज्ञों के पास अधिक जाना पड़ता है, IQ स्कोर कम होता है, तथा लगाव संबंधी समस्याएं होती हैं।